West Bengal SIR Row : केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन परीक्षण (SIR) का एलान किया है। इस पर प्रदेश की राजनीति में उबाल के संकेत दिख रहे हैं। सत्ताधारी दल- तृणमूल कांग्रेस ने इस प्रक्रिया पर सवाल खड़े करते हुए निर्वाचन आयोग और भाजपा से तीखे सवाल किए हैं। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और लोकसभा सांसद अभिषेक बनर्जी ने बताया कि टीएमसी कार्यकर्ता और पार्टी नेता मंगलवार को कोलकाता में इस प्रक्रिया के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे।
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कोलकाता में सोमवार देर शाम अभिषेक बनर्जी ने कहा, ‘मैं सभी से अपील करता हूं… चाहे कोई भी धर्म या पार्टी हो, हमें बंगाल को नुकसान पहुंचाने, लोगों को सम्मान से वंचित करने और बांग्लादेशी करार देने की भाजपा की साजिश के खिलाफ एकजुट होना चाहिए। मैं हर बंगाली से एकजुट रहने और 2026 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को बंगाल की ताकत दिखाने की अपील करता हूं।’ उन्होंने कहा कि बंगाल के मतदाताओं से समर्थन लेने के बावजूद यहां के लोगों को बांग्लादेशी बताया जाता है। ऐसा करने वाले लोगों के खिलाफ ये लड़ाई सिर्फ तृणमूल की नहीं, सभी 10 करोड़ बंगालियों की है।
अभिषेक बनर्जी ने कहा, तृणमूल ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर ये जानकारी साझा की है कि मंगलवार को एसआईआर के विरोध में एक मार्च निकाला जाएगा। नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थकों को बुलाया गया है। मंगलवार से ही निर्वाचन आयोग की तरफ से जारी गणना फॉर्म मतदाताओं को वितरित किए जाने की शुरुआत होगी। इसका ध्यान रखते हुए पार्टी ने पड़ोसी जिलों के नेताओं-कार्यकर्ताओं से कोलकाता नहीं आने की अपील की है।
एसआईआर के कारण पनपने वाले तनाव और इससे निपटने के लिए सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस की रणनीति को लेकर पार्टी सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा, ‘हमने शुरू से ही कहा है कि अगर एक भी योग्य मतदाता सूची से हटाया गया, तो टीएमसी इस लड़ाई को दिल्ली तक ले जाएगी। जो लोग केंद्र सरकार की कठपुतली बनकर बंगाल को उसकी पहचान से वंचित करने और बांग्ला बोलने पर हमें बांग्लादेशी कहने का तमगा देते हैं, उन्हें राष्ट्रीय राजधानी तक चुनौती दी जाएगी।
उन्होंने कहा, ‘भाजपा और चुनाव आयोग में उनके दोस्तों से मेरा सवाल सीधा है: जो 5-6 लोग पहले ही मर चुके हैं: वे वैध मतदाता थे या अवैध?’ जनता से डटकर विरोध करने की अपील करते हुए अभिषेक बनर्जी ने कहा, ‘मैं आपसे आग्रह करता हूं कि बंगाल में स्थापित किए जा रहे सीएए शिविरों का शिकार न बनें; अगर कोई उन शिविरों में जाता है, तो उसका हश्र असम के पीड़ितों जैसा ही होगा, जहां लोगों को डिटेंशन सेंटर भेज दिया गया था। किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है।’
SIR 2.0 : 12 राज्यों-केंद्रशासित प्रदेशों में मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण आज से


