Maharashtra Civic Polls Voting : महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों की पहली बड़ी परीक्षा आज यानी दो दिसंबर को होने जा रही है। इसमें पूरे राज्य की नजर महायुति और महा विकास आघाड़ी की सीधी राजनीतिक भिड़ंत पर टिकी है। 264 नगर परिषदों और नगर पंचायतों में होने वाली वोटिंग को विधानसभा चुनावों के बाद जनता के मूड का अगला बड़ा संकेतक माना जा रहा है। लगभग एक वर्ष से लटके हुए इन चुनावों को लेकर राजनीतिक तापमान तेज है और दोनों गठबंधन पूरे दम-खम के साथ मैदान में हैं।
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पहले चरण में करीब एक करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे। 2 दिसंबर को होने वाली वोटिंग 6,705 सदस्य पदों और 264 अध्यक्ष पदों का भविष्य तय करेगी। चुनाव की पूरी प्रक्रिया इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों से होगी और नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे। हालांकि 24 स्थानीय निकायों में चुनाव स्थगित कर 20 दिसंबर को कराए जाएंगे, क्योंकि नामांकन की जांच में अनियमितताएं, अपीलों पर देर से आए निर्णय और चुनाव चिह्न आवंटन में खामियों के कारण राज्य निर्वाचन आयोग ने इन्हें रोक दिया। कई मामलों में उम्मीदवारों को नाम वापस लेने के लिए तय तीन दिन का समय भी नहीं मिला, जिसे आयोग ने नियमों के खिलाफ माना।
प्रचार का अंतिम दौर और आचार संहिता
प्रचार सोमवार रात 10 बजे पूरी तरह बंद हो गया। इसके बाद राजनीतिक दलों को रैली, मार्च, लाउडस्पीकर और किसी भी तरह के सार्वजनिक प्रचार की अनुमति नहीं थी। वोटिंग के दिन किसी भी तरह का चुनावी विज्ञापन पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। ‘मीडिया रेगुलेशन एंड एडवर्टाइजमेंट सर्टिफिकेशन ऑर्डर 2025’ के अनुसार 2 दिसंबर को किसी भी अखबार, टीवी चैनल या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन प्रकाशित नहीं किया जा सकेगा। आयोग ने उम्मीदवारों की जानकारी देने के लिए मोबाइल ऐप और डुप्लीकेट वोटरों की पहचान के लिए डबल स्टार सिस्टम लागू किया है।
फडणवीस ने आयोग के फैसले को बताया गलत
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 24 निकायों के चुनाव स्थगित करने के निर्णय को गलत और उम्मीदवारों के साथ अन्याय बताया। उन्होंने कहा कि नामांकन प्रक्रिया पूरी कर चुके उम्मीदवारों के लिए आखिरी वक्त पर चुनाव रोकना उचित नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग एक स्वतंत्र संस्था है और उसे निर्णय लेने का अधिकार है। बावजूद इसके, उन्होंने आयोग के फैसले का विरोध जारी रखा और कहा कि इससे चुनावी प्रक्रिया पर अनावश्यक असर पड़ा है। महायुति और एमवीए दोनों ने अपने शीर्ष नेताओं को मैदान में उतारकर आक्रामक प्रचार किया।
वोटर लिस्ट पर विपक्ष का हमला तेज
विपक्ष, खासकर शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस, महायुति सरकार पर वोटर लिस्ट में भारी गड़बड़ी का आरोप लगा रहे हैं। शिवसेना (यूबीटी) ने आरोप लगाया कि SIR के नाम पर एनडीए वोट चोरी की साजिश कर रहा है। विपक्ष के दबाव के बाद बीएमसी ने पूरे मुंबई में व्यापक वोटर लिस्ट सुधार अभियान चलाया है। डोर-टू-डोर सर्वे, वार्ड स्तर पर वोटर सहायता केंद्र और एरर करेक्शन ड्राइव के जरिए नामों की जांच की जा रही है।
ये स्थानीय निकाय चुनाव सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत 31 जनवरी से पहले कराए जा रहे हैं। अभी 29 नगर निगम, 32 जिला परिषदों और 336 पंचायत समितियों के चुनाव का एलान होना बाकी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2 दिसंबर की वोटिंग के नतीजे राज्य के राजनीतिक माहौल को काफी हद तक प्रभावित करेंगे। अगर महायुति की जीत विधानसभा जैसी दोहराई गई, तो भाजपा की अगुवाई वाली सरकार को मजबूत जनसमर्थन का संदेश जाएगा। वहीं यदि विपक्षी गठबंधन को बेहतर प्रदर्शन मिलता है, तो यह आने वाले बड़े चुनावों में उनकी ताकत बढ़ा सकता है।
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