Tuesday, July 1, 2025
Google search engine
Homeउत्तराखंडफैटी लीवर: लक्षणहीन लेकिन खतरनाक बीमारी

फैटी लीवर: लक्षणहीन लेकिन खतरनाक बीमारी

विश्व लिवर दिवस पर मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने फैटी लिवर के लक्षण, कारण, निदान और उपचार के बारे में लोगों को जागरुक किया।

फैटी लिवर, जिसे मेडिकल भाषा में हिपैटिक स्टीटोसिस कहा जाता है, आज के दौर में तेजी से फैल रही बीमारियों में से एक है. लगभग हर तीसरा व्यक्ति फैटी लिवर की किसी न किसी अवस्था से प्रभावित है। , यह चिंता का विषय है यह बीमारी प्रारंभिक अवस्था में बिना किसी लक्षण के शरीर में विकसित होती है और यदि समय रहते इसका निदान और इलाज न हो तो यह लिवर सिरोसिस, हेपेटाइटिस और यहां तक कि लिवर कैंसर तक का रूप ले सकती है।

डॉ. अभिजीत भावसार, कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के अनुसार, फैटी लीवर या स्टीटोसिस एक गंभीर समस्या है, जिसमें लीवर की कोशिकाओं में अत्यधिक वसा जमा हो जाती है। यह स्थिति लीवर की कार्यक्षमता को प्रभावित करती है और समय के साथ सूजन, सिरोसिस या लीवर कैंसर जैसी जटिल बीमारियों का कारण बन सकती है।

फैटी लीवर दो प्रकार का होता है – अल्कोहलिक फैटी लीवर डिज़ीज़ (AFLD) और नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर डिज़ीज़ (NAFLD)। पहला अत्यधिक शराब के सेवन से होता है, जबकि दूसरा मोटापा, टाइप 2 डायबिटीज़, हाई ट्राइग्लिसराइड्स, कुछ दवाओं, वायरल संक्रमण, कुपोषण या आनुवंशिक कारणों से हो सकता है।

चिंता की बात यह है कि शुरुआती अवस्था में इसके कोई लक्षण नहीं होते। इसलिए समय रहते जांच और जीवनशैली में बदलाव जरूरी है, ताकि यह बीमारी आगे बढ़कर गंभीर रूप न ले।

डॉ. अभिजीत भावसार के अनुसार, फैटी लीवर को “साइलेंट डिज़ीज़” कहा जाता है क्योंकि इसकी शुरुआती अवस्था में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखाई देते। अधिकतर मामलों में इसकी पहचान तब होती है जब किसी अन्य कारण से जांच कराई जाती है।

जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, कुछ लक्षण उभरने लगते हैं—जैसे लगातार थकान, कमजोरी, पेट के ऊपरी दाएँ हिस्से में हल्का दर्द या असहजता। कुछ लोगों को भूख में कमी, वजन घटने, भ्रम या ध्यान केंद्रित करने में परेशानी भी हो सकती है।

यदि स्थिति गंभीर हो जाए (जैसे NASH या सिरोसिस), तो पीलिया, पैरों और पेट में सूजन, और त्वचा पर खुजली जैसे लक्षण सामने आते हैं। ऐसे में किसी भी लंबे समय तक चल रही थकान या पेट से जुड़ी परेशानी को नजरअंदाज न कर, चिकित्सकीय सलाह लेना जरूरी होता है।

फैटी लीवर का उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि यह स्थिति कितनी गंभीर है और उसके पीछे क्या कारण हैं। यदि बीमारी प्रारंभिक अवस्था में है, तो जीवनशैली में सुधार सबसे प्रभावी उपचार माना जाता है। वजन घटाना, संतुलित और पौष्टिक आहार लेना, तथा नियमित रूप से व्यायाम करना लीवर में जमा अतिरिक्त वसा को कम करने में मदद करते हैं। यदि कोई व्यक्ति अपने शरीर के वजन का मात्र 5 से 10 प्रतिशत भी कम कर ले, तो लीवर की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार देखा जा सकता है।

Reported By: indianrevenue

Rajan
Rajanhttp://indianrevenue.com
R K Solanki, (Owner & Editor-in-Chief, www.indianrevenue.com ) - An Ex- Indian Revenue Service (IRS) Officer, having a career spanning more then 35 years. Served in Ministry of Finance, Department of Revenue, CBEC (Now CBIC).
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments