नई दिल्ली: India Russia relationship विदेश मंत्रालय ने सोमवार को अमेरिका और यूरोपीय संघ की आलोचना के बाद रूस से तेल आयात करने के देश के फैसले का पुरजोर बचाव किया. विदेश मंत्रालय के अनुसार रूस से भारत का आयात आवश्यकता से प्रेरित है और इसका उद्देश्य भारतीय उपभोक्ताओं के लिए पूर्वानुमानित और सस्ती ऊर्जा लागत सुनिश्चित करना है.
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विदेश मंत्रालय ने रूस से तेल खरीदने को सही ठहराते हुए कहा भारत अपने हितों को साधेगा और सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगा. विदेश मंत्रालय ने एक बयान में स्पष्ट किया कि यूक्रेन में संघर्ष शुरू होने के बाद पारंपरिक आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान के कारण भारत ने रूस से कच्चे तेल का आयात किया.
विदेश मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया कि भारत का ऊर्जा आयात राष्ट्रीय हित और बाजार की वास्तविकताओं से प्रेरित एक निर्विवाद निर्णय है. विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया, ‘भारत को निशाना बनाना अनुचित और अविवेकपूर्ण है. किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था की तरह भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगा.’
यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद रूस से तेल आयात करने के कारण भारत को अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा निशाना बनाया गया है. दरअसल, भारत ने रूस से आयात इसलिए शुरू किया क्योंकि संघर्ष छिड़ने के बाद पारंपरिक आपूर्ति यूरोप की ओर मोड़ दी गई थी. उस समय अमेरिका ने वैश्विक बाजार की स्थिति को देखते हुए भारत से इस आयात को जारी रखने के इशारे किए थे.
विदेश मंत्रालय ने आगे बताया कि यूरोपीय संघ का 2023 में रूस के साथ वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 67.5 अरब यूरो और सेवाओं का 17.2 अरब यूरो था जो रूस के साथ भारत के कुल व्यापार से काफी अधिक है. रूस से यूरोपीय संघ का एलएनजी आयात 2024 में रिकॉर्ड 16.5 मिलियन टन तक पहुँच गया था.
इसके अलावा अमेरिका अपने परमाणु उद्योग के लिए यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के लिए पैलेडियम, उर्वरक और रसायनों का आयात रूस से जारी रखे हुए है, ऐसा विदेश मंत्रालय की विज्ञप्ति में कहा गया है. भारत की ऊर्जा आयात रणनीति ऊर्जा सुरक्षा और सामर्थ्य को प्राथमिकता देती है. देश ने अपने ऊर्जा आयात में विविधता लाकर अपनी बढ़ती ऊर्जा माँगों को पूरा करने के लिए रूस जैसे देशों पर निर्भरता बढ़ा दी है.
विदेश मंत्रालय की यह प्रतिक्रिया राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में भारत पर भारी मात्रा में रूसी तेल खरीदने और लाभ के लिए इसे फिर से बेचने का आरोप लगाने के बाद आई है. उन्होंने दावा किया कि इससे यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के प्रयासों को नुकसान पहुंचा है. इसके परिणामस्वरूप वह भारत द्वारा अमेरिका को दिए जाने वाले टैरिफ में काफी वृद्धि करेंगे.
विदेश मंत्रालय ने बयान में इस बात पर जोर दिया कि ये आयात अपने नागरिकों के लिए पूर्वानुमानित और किफायती ऊर्जा मूल्य सुनिश्चित करने की आवश्यकता से प्रेरित हैं. इससे भी अधिक दिलचस्प बात ये है कि मंत्रालय ने कहा कि आलोचना करने वाले पश्चिमी देश स्वयं ही रूस से व्यापार में जुटे हैं और भारत से कही अधिक बड़े पैमाने पर कारोबार को जारी रखे हुए हैं.
बयान में कहा गया, ‘भारत के आयात का उद्देश्य भारतीय उपभोक्ताओं के लिए अनुमानित और किफायती ऊर्जा लागत सुनिश्चित करना है. वैश्विक बाजार की स्थिति के कारण ये आयात जरूरी है. हालांकि, यह बात उजागर होती है कि भारत की आलोचना करने वाले देश खुद रूस के साथ व्यापार में लिप्त हैं. हमारे मामले के विपरीत, ऐसा व्यापार कोई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय बाध्यता भी नहीं है.
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